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Sunday Column “शब्द संवाद”

Armaan Nadeem

Armaan Nadeem 

अरमान नदीम 


परिचय 

मात्र सोलह वर्ष की आयु में लघुकथा की किताब “सुकून” के लेखक अरमान नदीम भारत के सबसे कम उम्र के लघुकथाकार है जिनकी किताब प्रकाशित है तथा इनके नाम एक रिकॉर्ड यह भी दर्ज है कि आप बहुत कम उम्र में राजस्थान साहित्य अकादमी उदयपुर , जवाहर लाल नेहरु बाल साहित्य अकादमी जयपुर तथा राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर से एक साथ पुरस्कृत लेखक है ।  “शब्द संवाद” कॉलम हेतु देश की चुनिंदा शख्सियात से बातचीत 

Armaan Nadeem, based in Bikaner, Rajasthan, has surprised everyone with his writing talent and deep thinking at a very young age.


His writing journey started at the age of just 16. At that age, he wrote and published a collection of his short stories called "Sukoon". As soon as this book was published, he set a record and became the youngest short story writer of India. 


He received honors from three major literary institutions simultaneously. Thus, he became the youngest writer ever to achieve this feat. These institutions include Rajasthan Sahitya Academy, Jawaharlal Nehru Bal Sahitya Academy and Rajasthani Bhasha, Sahitya and Culture Academy.


Apart from this, he also received the Manuj Depavat Award for his story "Khokho Ni Hatsi". All these honors show how impressive his stories are and how much people appreciate his writing. He has also been awarded the Pandit J.N.B. Award. Sahitya Akademi Award and Rajasthan Sahitya Academy Pardesi Award.

Simran

Simran

​सिमरन


सिमरन एक बहुमुखी और दूरदर्शी व्यक्तित्व हैं — वकील , ब्रांड क्यूरेटर , स्टाइलिस्ट और “Vanguard Voices” नामक प्रतिष्ठित समुदाय एवं चैट शो की संस्थापक है। वर्तमान में सुप्रसिद्ध फैशन ब्रांड “Jade” की उपाध्यक्ष के रूप में अपनी भूमिका निभा रही हैं।

फैशन और कला के क्षेत्र में सिमरन का योगदान अत्यंत उल्लेखनीय रहा है। वे क्रिएटिव कंसल्टेशन , बिज़नेस एडवाइजरी और कम्युनिटी बिल्डिंग जैसे क्षेत्रों में सक्रिय हैं, जहाँ वे नवाचार और सौंदर्यबोध को व्यावसायिक दृष्टि के साथ जोड़ती हैं।

उनका कार्य न केवल फैशन जगत की सीमाओं तक सीमित है, बल्कि वे कला, अभिव्यक्ति और नेतृत्व के नए आयाम गढ़ रही हैं। 

सिमरन अपनी रचनात्मकता, नेतृत्व क्षमता और गहरी कलात्मक समझ के कारण नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं — एक ऐसी शख्सियत जो बौद्धिकता, शैली और संवेदनशीलता का अद्भुत संगम हैं।

Simran
Interview 

अरमान: मौजूदा वक्त में आप एक प्रख्यात डिजाइनर हैं और पूर्व में आप एक लॉयर भी रही हैं। आपकी इस जर्नी में जो एक बड़ा शिफ्ट आया, और फैशन डिजाइनिंग में आपका रुझान किस तरीके से बना?


सिमरन: अगर मैं अपने लॉयर बैकग्राउंड की बात करूँ, मैं एक लीगल फैमिली को बिलॉन्ग करती हूँ। मेरे पिताजी एक रिटायर्ड जज हैं। तो एक यह भी वजह रही कि मैंने अपना शुरुआती करियर एक लॉयर के रूप में शुरू किया। और मैं गवर्नमेंट के लिए लीगल फील्ड में काम करती थी, जो कि अपने आप में काफी दिलचस्प हो जाता है क्योंकि आप कई लोगों से मिलते हैं और आप स्टेट की प्रॉब्लम्स समझते हैं, कैसे स्टेट फंक्शन करता है और आपको समझ आता है कि किस तरीके से समस्याएँ स्टेट के सामने खड़ी हो रही हैं और आप उन्हें किस तरीके से सुलझा सकते हैं। इसमें आपको यह भी मालूम पड़ता है कि ग्रास रूट लेवल पर किस तरह की समस्याएँ हैं और किस तरीके से उन लीगल इश्यूज को आप डील कर सकते हैं। जब आप इस तरह के काम करते हैं तो आपकी लर्निंग बहुत ज्यादा होती है इन सब कामों के दौरान, क्योंकि एक ही दिन में कई चीजों को आपको समझना पड़ता है और कई काम करने होते हैं, जो कि मेरे लिए काफी अच्छा रहा। मुझे काफी ज्यादा एक्सपीरियंस मिले, मुझे काफी कुछ सीखने को मिला। क्योंकि जब भी आप इस तरीके के प्रोफेशन में जाते हैं जो कि डायरेक्ट पब्लिक डीलिंग से जुड़ा होता है, तो आपको काफी कुछ चीजें समझने को और सीखने को मिलती हैं। इस तरह की एकेडमिक्स के बाद आप में एक कॉन्फिडेंस बिल्ड होता है, जिसमें किसी भी स्टेज पर, किसी भी फोरम पर खड़े होकर किसी भी चीज के बारे में बात कर सकते हैं, डिस्कशन कर सकते हैं। और रही बात फैशन की, तो वहाँ मेरा इंटरेस्ट हमेशा से ही रहा था। कहीं पर हम समझते हैं कि फैशन इतना सीरियस टॉपिक नहीं है, मगर मेरी नज़र में ऐसा नहीं है। अगर आप इसे वर्ल्डवाइड भी देखें तो फैशन की जो इकोनॉमी है, वह एक काफी बड़ा नंबर हमारे सामने लेकर आती है। आप इसे इस तरीके से देख सकते हैं कि जब हम अपने आप को वर्ल्ड के सामने प्रेजेंट करते हैं, तो वह भी एक तरह का फैशन है। आप वर्ल्ड के सामने अपने आप का प्रेजेंटेशन कैसे करते हैं, आपकी क्या पहचान है, आप अपने आप को कैसे तैयार करते हैं, किस तरीके के कपड़े डालते हैं। यहाँ पर भी मेरी शुरुआत से ही दिलचस्पी बनी रही है। और इसी से रिलेटेड मेरा एक बहुत बड़ा सर्किल भी है पंजाब में। मैं कई लोगों को जानती हूँ और बहुत से लोग मुझे भी जानते हैं, और इसी वजह से मुझे वोग मैगजीन, जो कि वर्ल्ड की बहुत बड़ी मैगजीन है, वोग इंडिया ने मुझे अपने एक वेडिंग प्लेटफॉर्म में पेंडेमिक से पहले होस्ट करने के लिए कहा गया। "वेडिंग शो" उसकी एक एडिशन थी चंडीगढ़ में, तो वह इवेंट मैंने होस्ट किया था चंडीगढ़ में। वह दो दिन का इवेंट काफी अच्छा रहा। लोगों ने इंगेज किया, काफी डिजाइनर आए और ओवरऑल वह काफी सक्सेसफुल रहा और मुझे भी उस प्रोजेक्ट को करते हुए काफी अच्छा लगा। और फिर उसके बाद में काफी लग्जरी ब्रांड को चंडीगढ़ में इंट्रोड्यूस किया, जैसे अनीता डोंगरे है, ज़ेड बाय मोनिका एंड करिश्मा और भी कई इंटरनेशनल ब्रांड। बेसिकली जो सभी लग्जरी में आते हैं, उस तरह के लोगों को मेरी प्रेजेंटेशन काफी अच्छी लगी, मेरे आइडियाज काफी पसंद आए। इन्हीं सबके चलते एक ब्रांड है ज़ेड बाय मोनिका एंड करिश्मा, जिनका एक क्राफ्ट स्कूल है चाणक्या, जो कि क्रिश्चियन डायर, जो कि वर्ल्डवाइड एक बड़ा ब्रांड है, उनके साथ काम करते थे। उनकी डिजाइनिंग पूरी तरीके से हाथों से की जाती है और काफी ज्यादा एक्सपेंसिव और मेहनत वाला काम जिसे हम कह सकते हैं। ज़ेड की फाउंडर मोनिका ने मुझसे कहा कि तुम क्यों नहीं हमारा ब्रांड जॉइन करने के लिए सोचती? चूँकि मुझे शुरुआत से ही फैशन डिजाइनिंग में बड़ी दिलचस्पी थी, मैंने जॉइन किया और मैं मौजूदा वक्त में वाइस प्रेसिडेंट हूँ ज़ेड की।

जिस वक्त मैंने जॉइन किया था, मैं उस वक्त इतना सब कुछ जानती भी नहीं थी कि क्या हो सकता है, किस तरीके के बदलाव मैं ला सकती हूँ, मगर हमेशा से ही मेरे अंदर एक चीज थी कि हाँ, मैं कर सकती हूँ। मैंने यहाँ भी काफी कुछ सीखा है। और एक जो सबसे बड़ी चीज मुझे लगती है, जब एक फील्ड से दूसरी फील्ड में जा रहे हैं और आपको लगता है कि मैं यह कर पाऊँगी भी या नहीं, मगर आप में उस काम को लेकर इंटरेस्ट है, फिर आपको लगता है कि आपके पास नॉलेज भी है और सीखने की कैपेसिटी भी है, तो मुझे लगता है कि आप किसी भी स्टेज पर इसे स्विच कर सकते हैं। यह काफी ज्यादा दिलचस्प रहता है, क्योंकि आपको काफी कुछ ज्यादा नया सीखने को मिलता है, जो कि आपका पहले वाले काम से बिल्कुल ही अलग होगा, आपके जो एक्सपीरियंस रहे पहले, उन सबसे बिल्कुल अलग। इसी वजह से आपका जो वर्ल्ड व्यू है, वह काफी अलग हो जाता है।


अरमान: आपने बड़ी ही शाइस्तगी से अपने लीगल फील्ड से फैशन की तरफ हुए शिफ्ट को बताया। यंग प्रोफेशनल्स जो लॉ या किसी और क्रिएटिव फील्ड से फैशन की तरफ आना चाहते हैं, आप अपनी तरफ से उन्हें और क्या सलाह देना चाहेंगी?


सिमरन: मैं अपनी तरफ से यही सलाह देना चाहूँगी: चेंज हमेशा ही एक्साइटिंग और अच्छी ही होती है। अगर आप अपने कंफर्ट जोन में रहते हैं, तो आपकी ग्रोथ धीमी हो जाती है। अगर आपको लग रहा है कि मेरे पास यह टैलेंट भी है और मुझे एक्सप्लोर करना है, अगर आपके पास में वह अपॉर्चुनिटी आता है तो आप उसको लीजिए। ज्यादा घबराने और ज्यादा सोचने में मुझे वैल्यू नहीं दिखती है। अगर मैं खुद की पर्सनैलिटी की बात करूँ तो मुझे चैलेंज काफी अच्छे लगते हैं। जब भी मुझे कोई चैलेंज मिलता है, तो वह मुझे बड़ा दिलचस्प लगता है। एक अलग तरह का थॉट प्रोसेस होता है कि अब इसमें क्या हो सकता है, पॉसिबिलिटीज क्या हैं। यह एक मेरा तरीका है कि मैं इस तरीके से अपने आसपास के व्यवहार, वातावरण और दुनिया को देखती हूँ। मुझे ऐसा ही अच्छा लगता है दुनिया को देखना। अब तो मेरे पास में मेरी दो लड़कियाँ हैं, और उन्हें भी मैं यही समझाती हूँ: आपको बहुत स्ट्रॉन्ग होना चाहिए आज की दुनिया में, क्योंकि बदलाव बहुत हो चुका है और बड़ी ही तेजी के साथ में बदलाव आ रहा है। अगर आप आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की बात करते हैं, कितनी चीजें बदली हैं इसके बाद में! फिर चाहे वह जॉब्स हैं, जो कि अब एआई में रिप्लेस हो जाएँगी, तो बहुत ज्यादा जल्दी बदलाव आ रहे हैं। या फिर अगर रिप्लेसमेंट में नहीं, तो उनके जो काम करने के तरीके हैं, वह पूरी तरीके से बदल जाएँगे। जो पारंपरिक कार्यशैली थी, वह अब नहीं रहेगी। हमने कोविड भी देखा जो कि एक बहुत बड़ा चैलेंज था। तो इन सब चीजों को देखने के बाद हम यह एहसास करते हैं कि हमें बहुत ज्यादा फ्लेक्सिबल और बहुत ज्यादा स्ट्रॉन्ग होना चाहिए। आपको चेंज से घबराना नहीं चाहिए और आपके पास में एक ऐसी स्किल डेवलप होनी चाहिए कि अगर एकदम लास्ट मिनट भी कोई चीज बदल रही है, तब भी आप उसे टैकल कर सकें। किसी भी चैलेंज के लिए आप लास्ट मिनट में सॉल्यूशन ढूँढ सकते हैं। बेसिकली आज के दौर में आप किसी एक जगह पर फँसे हुए नहीं रह सकते, मुझे लगता है वह दौर चला गया। मतलब कि आप किसी एक जगह पर नहीं रह सकते, और इसी वजह से आपको उन बदलावों के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए, जो कि धीरे-धीरे आपके कार्य में आते रहेंगे, और जब आपका दिमाग इस तरह की चीजों पर लगा रहेगा, तभी आप उन्हें जल्दी और बेहतर तरीके से नेविगेट कर पाएँगे। और मुझे यह भी बिल्कुल पसंद नहीं है कि हमेशा हम प्रॉब्लम्स के बारे में ही सोचते रहें, क्योंकि मुझे ऐसा लगता है कि मैंने अपने दिमाग को इस तरीके से ट्रेन किया है कि अब मुझे सॉल्यूशन ढूँढना है, उनके आंसर ढूँढने हैं।


अरमान: आपने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की बात की, वो हर फील्ड में इम्पैक्ट डाल रहा है, और आपने अपनी यह भी बात रखी कि हम चाहे कितने भी मॉडर्न हों, मगर अपने हेरिटेज से हम दूर नहीं हो सकते, उसे बनाए रखना चाहिए, उसे साथ रखना चाहिए। और जो आपकी नज़र मैं फैशन l सोशल चेंज में कितना बड़ा टूल बन सकता है?


सिमरन: जी बिल्कुल, सोशल चेंज में एक बड़ा पॉवरफुल टूल बन सकता है फैशन, क्योंकि आप अगर इसे इकोनॉमिकल व्यू से देखें तो यह कितना एंप्लॉयमेंट जनरेट करता है। मैं ज़ेड का ही एग्जांपल देना चाहूँगी। वहाँ एक प्रोडक्शन डिपार्टमेंट है जहाँ पर बहुत सारी लड़कियाँ भी काम करती हैं, और पर्सनली अगर मैं कहूँ तो मैं लड़कियों और महिलाओं की अपॉइंटमेंट पर ज्यादा ध्यान देती हूँ, क्योंकि मैं नारीवाद में विश्वास रखती हूँ। सोशल मीडिया पर लड़कियाँ आजकल बहुत अच्छा काम कर रही हैं। डिज़ाइन डिपार्टमेंट में बहुत सी लड़कियाँ हैं, जो डिजाइनर के तौर पर एक बहुत अच्छा उदाहरण पेश कर रही हैं समाज में, और इसके बाद में जो हमारे स्टोर्स होते हैं, उसमें रिटेल हेड हैं। तो इस नज़रिए से अगर हम देखते हैं तो अपॉइंटमेंट बहुत हैं फैशन इंडस्ट्री के अंदर, और न सिर्फ रोजगार दे रहा है बल्कि बहुत अच्छी सैलरीज़ भी हैं, जो कि सेल्फ इंडिपेंडेंट होने के लिए एक बड़ा रोल अदा करती हैं। लड़कियों के लिए टाइमिंग सूटेबल रहती है, उन्हें एक सेफ एनवायरमेंट मिलता है। इस तरह से लोगों को अच्छे जॉब मिल रहे हैं।

और इसके बाद जो सबसे बड़ा सोशल इंपैक्ट हमें देखने को मिलता है, जो कि हमारा ब्रांड है, वह कल्चर के साथ में काम करता है, हेरिटेज के साथ काम करता है। वह उन बारीकियों पर ध्यान देते हैं जो कि एक आने वाले वक्त में बड़ा इम्पैक्ट ला सकते हैं। आप इस ज़रिए अपना कल्चरल एलिमेंट स्ट्रॉन्ग कर रहे हैं अगली जनरेशन के लिए। बहुत सी ऐसी आर्ट एंड क्राफ्ट हैं अगर हम उन्हें बनाए नहीं रखेंगे और उस तरीके से प्रमोट नहीं करेंगे तो अगली जनरेशन को इसकी बारीकियाँ और महत्व के बारे में कभी पता ही नहीं चलेगा, वह सिर्फ एक कागजी इतिहास बनकर रह जाएगी। और इसी तरह हमने हार्वर्ड बिज़नेस स्कूल के लिए एक फंक्शन किया था जब वह यहाँ आए थे। हमारा आर्ट कल्चर हमारा एक सॉफ्ट पावर है दुनिया के सामने, जो कि वर्ल्ड में अनपैरलल्ड है, जिसकी कोई बराबरी इस तरीके से मेरी नज़र में नहीं कर सकता। क्योंकि आप देखिए, जो इंटरनेशनल डिज़ाइन हाउसेस हैं, वह भी हमसे इंस्पायर हो रहे हैं। आप देखिए साड़ी गाउन, वहाँ से वह इंस्पायर हो रहे हैं, हमारी क्राफ्ट फॉर्म, एंब्रायडरी। आप उसे हमारी एक तरीके से सॉफ्ट पावर ही समझिए, जो कि दुनिया भर में एक डिस्कशन का पॉइंट बन जाता है। जैसे कि प्रादा है, एक बहुत बड़ा इंटरनेशनल ब्रांड हाउस, उन्होंने कोल्हापुरी चप्पल को अपने यहाँ शोकेस किया, और जब वह न्यूज़ इंडिया तक आई तो उन्होंने कहा कि यह तो हमारा हेरिटेज है। हमारा हेरिटेज अब हर जगह एक्सपोर्ट हो रहा है। तो इस तरीके से भी एक कल्चरल सोशल इंपैक्ट हमें देखने को मिलता है, चाहे वह अपॉइंटमेंट के नज़रिए से देखें या फिर कल्चरल डिस्कशन।


अरमान: आपका ब्रांड कल्चर को रिप्रेजेंट करता है और उस पर महत्व देता है, और मौजूदा वक्त में आप वाइस प्रेसिडेंट भी हैं, तो इस नज़रिए से भी क्रिएटिव फ्रीडम और बिज़नेस रियलिटी की बात करते हैं, इन दोनों को बैलेंस करना कितना मुश्किल हो सकता है?


सिमरन: बहुत ही अच्छा सवाल है यह आपका। फैशन में सभी को यही दिल करता है कि हम क्रिएटिव ही रहें और फिर आगे का न सोचें, क्योंकि सेल्स बहुत बड़ा फिगर होता है, और अगर सेल्स नहीं होती, बिज़नेस नहीं होता, और उसके बाद में आप री-इन्वेस्ट करते हैं वहीं, और इस लिहाज से सेल्स काफी ज्यादा इंपॉर्टेंट हो जाती है। और आप चाहते हैं कि आपका ब्रांड लोगों को पसंद आए, डिज़ाइन पसंद आए, लोग उन्हें खरीदें और पहनें। यही बात है कि आपको इन में बैलेंस करना पड़ता है, और आपको मार्केट के ट्रेंड भी फॉलो करने पड़ते हैं। आप लोगों को कुछ नया भी देना चाहते हैं, मगर इस समय आपको ट्रेंड भी ध्यान में रखना पड़ता है, कौन से कलर्स अभी फैशन में हैं, लोग किस तरह के कपड़े पहनना चाह रहे हैं। इन्हीं सब मुद्दों को मद्देनजर रखते हुए आप डिजाइनिंग करते हैं। जैसे डिमांड होती है मार्केट में, लोगों के डिफरेंट डिफरेंट नैरेटिव होते हैं, डिमांड होती है, अलग-अलग तरह की चीज होती है। कोविड के वक्त में लोगों ने तैयार होना ही छोड़ दिया था। तो उस वक्त किसी भी तरह का फैंसी कपड़ा डिज़ाइन करने का कोई लॉजिक नहीं बन रहा था। और जैसे ही कोविड खत्म हुआ और लोगों ने दोबारा से अपनी सोशल लाइफ जॉइन की, शादी, फंक्शन्स, दूसरे प्रोग्राम, उसके बाद सब बड़े-बड़े फंक्शन्स करने लगे और एक रेगुलर लाइफ जैसी वापस शुरू हुई। लोगों ने वापस से लग्जरी पर, कपड़ों पर पैसे खर्च करने लगे। और अगर आप इस फील्ड में काम कर रहे हैं, तो आप लोगों को एक तरह का इल्यूजन बेच रहे हैं। मतलब कि वह रियलिटी नहीं है। आप लोगों को, "ये इतने लाखों के कपड़े हैं, आप यह डालेंगे तो...", मतलब आप इंस्पिरेशन बेच रहे हैं। और उन्हें एक इस तरह का इल्यूजन होता है कि वह एक बेहद ही रेयर सर्किल का हिस्सा बन रहे हैं। और कहीं न कहीं एक चीज आती है कि बहुत ही कम ही लोग इन कपड़ों को खरीदेंगे और एक वह बहुत ही रेयर सर्कल बन जाएगा, इस तरह का एक इल्यूजन बेचते हैं आप। मैं आपको यह ब्रांड का बता रही हूँ जो कि लग्जरी ब्रांड होते हैं, क्योंकि वह आम ब्रांड हैं नहीं जो कि आपको बड़ी आसानी से मिल जाएँगे। और कहीं न कहीं यह आम लोगों में भी क्रिएट किया जा रहा है। लोगों के अंदर आपको यह वॉन्ट एंड डिजायर क्रिएट करनी है। एक तरीके से आप उन्हें रियलिटी नहीं बेच रहे हैं।


अरमान: आप एक वक्त में लॉयर थीं और आपने फैशन में शिफ्ट किया, हमने यह बात की। क्या आपका वह लीगल बैकग्राउंड आपको आज भी फैशन में कोई इम्पैक्ट डालता है या हेल्प करता है?


सिमरन: बिल्कुल करता है, क्योंकि जब आप लॉ पढ़ते हैं और आपका एक प्रॉपर लीगल बैकग्राउंड होता है, तो आप कहीं न कहीं सीख जाते हैं कि मुझे वोकल होने में अब कोई परेशानी नहीं है। अगर किन्हीं मुद्दों पर मुझे अपनी बात रखनी है तो मुझे झिझकना नहीं है, क्योंकि आपको वह कॉन्फिडेंस मिलता है। और मेरे पास लॉयर होने का अनुभव है, और वह मुझे हर जगह काम आता है, मुझे ऐसा लगता है। अगर मुझे ऐसा लगता है कि कोई ऐसी बात है जो मेरे हक की नहीं है, तो मुझे वह वोकल होने में काफी ज्यादा मदद करता है। और आपकी पर्सनालिटी में भी काफी ज्यादा फर्क पड़ जाता है। जब आप इन दोनों चीजों को एक साथ लाकर जब अपनी बात कहते हैं, तो उसमें ज्यादा आपको गहराई मिलती है, लोग ज्यादा तवज्जो से आपको सुनते हैं कि एक लीगल बैकग्राउंड से होने के साथ में फैशन की जब बात की जाती है और इंडस्ट्री की जब बात की जाती है, तो उसे और ज्यादा गहराई मिलती है। क्योंकि साथ ही आप फैशन को भी समझ रहे हैं कि वह कैसे इवॉल्व हो रहा है। जब आप दोनों चीजों को साथ रखते हैं और लीगल बैकग्राउंड से आने के बाद में जब आप अपनी बात रखते हैं, फिर आपका एक वन-डाइमेंशनल नहीं रहता, फिर आपका अप्रोच हर चीज में डिफरेंट हो जाता है। और जो लोग सिर्फ एक ही फील्ड में रहे हैं, उनका देखने का नजरिया किसी भी चीज को ऐसा नहीं रहता।

आजकल की दुनिया में लोगों को बहुत ज्यादा डाइवर्सिटी की डिमांड है। कोई भी वन-डाइमेंशनल चीज ज्यादा पॉपुलर नहीं हो सकती, आपको देखना पड़ेगा कि दूसरे लोग क्या सोचते हैं उसके ऊपर और किस तरीके से देखते हैं। अगर मैं फैशन का ही उदाहरण आपको दूँ, तो अगर एक मॉडल है, तो आप उसे उस तरीके से नहीं दिखा सकते कि बस वही सबसे ज्यादा सुंदर दिख रही है, क्योंकि दुनिया है, उसमें सब टाइप की वेरिएशन है, सभी का रंग अलग-अलग है, सबका शरीर अलग। तो हमें हर किस्म के लोगों के लिए एक मैसेज तैयार करना है: सभी सुंदर हैं। और यह चीज बहुत ज्यादा जरूरी भी है आजकल की युवा लड़कियों के लिए खासकर। आप किसी जवान लड़की को यह नहीं कह सकते कि आप खाना बंद कर दीजिए और पतले होने लग जाइए और तभी आप सुंदर दिखोगे। और इंडिया में हम देखते ही हैं कि फेयर स्किन अगर है आपकी, तो तब आप ज्यादा सुंदर दिखते हैं। अब यह चीज नहीं रही, आइडिया ऑफ ब्यूटी काफी बदल चुका है।

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